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फ़िल्म :लव शगुन, अच्छी स्क्रिप्ट, अच्छा शगुन ( स्टार 2.5)







                       माँ के अचाल में दुनिया है और माँ के पैरों में जन्नत, फिर मेरी एक गलती से माँ को खो न दू  यह एहसास हर बेटे को होता है| सुपुत्र हमेशा माँ  का कहना मानते है, माँ कहे बेटा शादी करने योग हो गए हो शादी नही हो पा रही है तो यह पूजा कर लो, उस ज्योतिष के पास चले जाओ, यह रिंग पहन लो. एक बेटा माँ के लिए वह सब करता है| गृह और ज्योतिशो के चक्कर में उलज पड़ता है|
                    नवयुवक जे डी (अनुज सचदेवा) को एक लड़की की तलाश है जिससे वह विवाह कर सके, कोई नही बात नही है पर यहा कहानी में मोड़ है जे डी  शादी के तुरंत बाद उस लड़की से तलाक भी चाहता है, दरअसल ज्योतिषी ने यह कहा होता है कि उसकी पहली बीवी के कारण उसकी माँ की मृत्यु हो सकती है, हा दूसरी बार विवाह करने से यह बला टल जाएँगी| जे डी और उसके तीन दोस्त, सैंडी ( मनित जोरा), दीपक ( विक्रम खोच्चर )और सुमित ( तरण बजाज ) उस लड़की की खोज में जे डी का साथ देते है| जे डी अपनी इस उलझन में फँसा है, और उसके दोस्त उसे और प्रॉब्लम में फसाते जाते है, इस बीच जे डी की मुलाकात टिया (निधि सुब्बैह) से होती है जो निडर बिदास और आज के युग की लड़की है| इनकी दोस्ती होती है और प्यार फिर शादी| अब लगता है की गाड़ी पटरी पर आ गई है, पर ज्योतिष की बात पहली शादी के बाद माँ की मृत्यु.| अब क्या होगा| वहा माँ ने भी एक लड़की पसंद कर रखी है| जे डी, टिया से तलाक लेता है? क्या  माँ ने जिस लड़की को पसंद किया उससे शादी करता है? या ज्योतिष की कही बातें सत्यं होती है?
                        निर्देशक संदेश नायक ने अपनी पहली ही फ़िल्म से हर तरह से मनोरंजन करने की पुरी कोशिश की है, कॉमेडी, हँसी, खुशी, लव, दोस्ती,तकरार, मिलना बिछड़ना सभी का तड़का लगाने में सक्षम होते नजर आए है|  उन्होंने अपने साथ सभी कलाकारों को भी अच्छा स्पेस दिया है|   
                      संगीत कहानी के साथ ही चल रहा है कही कही लगता है की रुकावट हो रही है | संगीत ने भले ही हिट न हुए हो पर सुनाने में पसंद किए जा सकते है|
                     फ़िल्म की कमजोर कड़ी कहे तो अभिनय में निधि उनकी पिछली फ़िल्म में भी यही रुप नजर आया, उन्हें अपने किरदार के साथ नया पन लाना होगा, संदेश नायक को गीत का समज रखनी होगी, साथ ही अभिनेता चयन करते वक्त भी खयाल रखना होंगा|
 
 
पुष्कर ओझा